बुधवार, १९ ऑक्टोबर, २०११

कुछ छोटे से ख्वाब है मेरे

कुछ छोटे से ख्वाब है मेरे
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युही चलते हुए

परछाई को भी मै थामना चाहती हु

उस बहती हवा के रफ़्तार से उड़न चाहती हु

असमान को ज़मी से देखे ज़माने बीत रहे है

एक बार मै उसे अपने आगोश में भरना चाहती हु

आग के दरिया से तो आज भी डरता लगत है

उसी आग को अपने अरमानो के पंख बनाना चाहती हु

उन हसती कलिओ की खूबसूरती,

फूलो की खुशबू को अपने नूर में सजाना चाहती हु

चकता है जैसे सितारा असमान में

मै दुनिया की भीड़ में ऐसे ही जगमगाना चाहती हु

उस सूरज नज़र किसने मिलाली है आज तक

मै उसकी रौशनी से बाते करना चाहती हु

एक ख्वाइश है छोटी सी

एक अरमान है दिल

इरादों का दामन थाम कर

मै पंछी की बनती उड़ना चाहती हु..

मै ये जिन्दगी अपनी शर्तो पे जीना चाहती हु

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