न जाने कौनसा मोड आखरी हो
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कल तक जिस राह पर चलते आये है
वो आज भी सुनी डगर है
कल भी कल की खबर नहीं थी
न आज कोई खबर है
सपने बहुत सजाये है
अरमानो के पंख लगाये है
तूफान के कश्ती फस भी जाये तो
इरादों के सैलाब को रोक नहीं पाए है
पर क्या पता इन्ते जो ख्वाब है
कब टूट कर बिखर जाये
ये जो चलती सास है
कब धड़कन अधूरी छुट जाये
कब जिंदगी हमसे नाता तोड़ दे
नहीं जानते इस सफ़र में कौनसा आखरी मोड़ है ........
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